Wednesday, April 16, 2025


क्यों रेखा गुप्ता के पास नहीं होंगी वो 5 पॉवर्स, जो दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास हैंदिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कुछ ऐसी महत्वपूर्ण शक्तियां नहीं होतीं जो भारत के अन्य पूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास होती हैंपहली बार विधायक बनीं रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं. लेकिन वो पूरी तरह अधिकारसंपन्न नहीं होंगी. उनके पास 5 वो खास पॉवर नहीं होंगी, दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास होती हैं.

 

जानते हैं कि वो पावर्स कौन सी हैं और वो दिल्ली सरकार के पास क्यों नहीं होंगी. दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कुछ ऐसी महत्वपूर्ण शक्तियां नहीं होतीं जो भारत के अन्य पूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास होती हैं. इसका कारण यह है कि दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है और ये देश की राजधानी भी है. इसलिए ये देश का सबसे खास क्षेत्र है, लिहाजा इसकी बहुत सी पॉवर्स केंद्र सरकार अपने पास रखती है.दिल्ली के पास आंशिक राज्य का दर्जा है. दिल्ली का प्रशासन संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत चलता है, जो दिल्ली को एक विधान सभा तो देता है, लेकिन कुछ शक्तियां केंद्र सरकार के पास रखता है.. पुलिस पर नियंत्रण नहीं

– दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आती है– कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण पर दिल्ली सरकार का कोई अधिकार नहीं हैअगर दिल्ली में कोई दंगा या कानून-व्यवस्था की समस्या होती है, तो मुख्यमंत्री पुलिस को सीधे आदेश नहीं दे सकते.

 

2. भूमि (Land) पर नियंत्रण नहीं

– दिल्ली में जमीन से जुड़े सभी मामलों का प्रबंधन केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय करता है.– दिल्ली सरकार रियल एस्टेट या सरकारी जमीन पर सीधे निर्णय नहीं ले सकती.. कानून-व्यवस्था पर अधिकार नहीं

– दिल्ली राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है– दिल्ली सरकार किसी भी प्रकार के सुरक्षा बलों को तैनात करने या हटाने का फैसला नहीं कर सकती

 

4. म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (MCD) पर पूरा नियंत्रण नहीं

– दिल्ली का नगर निगम (MCD) अलग इकाई के रूप में कार्य करता है और केंद्र सरकार के तहत आता है.– दिल्ली सरकार का सीमित प्रभाव होता है नगर सेवाओं जैसे सफाई, सड़क मरम्मत आदि पर.

 

5. हर काम में राज्यपाल (Lieutenant Governor – LG) की मंजूरी जरूरी

– दिल्ली में उपराज्यपाल (LG) का रोल बहुत महत्वपूर्ण है.– दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए कई कानूनों और नीतियों को लागू करने से पहले LG की मंजूरी जरूरी होती है.– LG के पास कुछ मामलों में वीटो पावर भी होती है और वे निर्णय केंद्र सरकार को भेज सकते हैं.– ऐसा दूसरे राज्यों में नहीं होता.

 

लगातार होती रही ज्यादा पॉवर्स की मांग

दिल्ली के कई पूर्व मुख्यमंत्री लगातार ये मांग कर चुके हैं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, जिससे दिल्ली के चीफ मिनिस्टर्स के वास्तविक पॉवर्स आ पाएंकेजरीवाल क्या मांग करते रहे

अरविंद केजरीवाल ये मांग करने में सबसे आगे रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रहे. अपने कार्यकाल में उन्होंने बार-बार ये मुद्दा उठाया कि जब दिल्ली सरकार जनता से टैक्स लेती है और चुनाव लड़ती है, तो पुलिस और जमीन जैसे अहम क्षेत्रों पर उसका नियंत्रण क्यों नहीं होना चाहिए. अधिकारों की लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट तक गए और कई बार उपराज्यपाल (LG) के साथ टकराव हुआ. चुनावों में भी “पूर्ण राज्य का दर्जा” एक अहम मुद्दा बनाते रहे.

 

शीला ने ज्यादा अधिकारों की मांग की

लंबे कार्यकाल के दौरान शीला दीक्षित (1998–2013) ने कई बार केंद्र सरकार से यह मांग की कि दिल्ली सरकार को ज्यादा प्रशासनिक अधिकार दिए जाएं. खासकर पुलिस और लैंड कंट्रोल पर अधिकार की वकालत की, ताकि कानून-व्यवस्था सुधारने और योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू करने में सहूलियत हो. हालांकि उनकी पार्टी (कांग्रेस) केंद्र में सत्ता में होने के कारण वह केजरीवाल की तरह आक्रामक नहीं रहीं.मदन लाल खुराना ने क्या कहा

मदन लाल खुराना (1993–1996) दिल्ली के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने. उन्होंने भी उसको पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई. बीजेपी के शासनकाल में उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार के पास कानून-व्यवस्था और जमीन पर अधिकार न होना लोकतंत्र के खिलाफ है.

 

क्यों उठती है पूर्ण राज्य की मांग?

कानून-व्यवस्था, पुलिस, और भूमि नियंत्रण केंद्र सरकार के पास रहने से मुख्यमंत्री कई बार फैसले लेने में असमर्थ होते हैं. राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण केंद्र सरकार चाहती है कि दिल्ली की सुरक्षा और जमीन से जुड़े मामलों पर उसका सीधा नियंत्रण रहे. दिल्ली के मुख्यमंत्री और स्थानीय सरकारें यह मानती हैं कि इससे उनकी शक्ति सीमित हो जाती है और जवाबदेही कम होती है.

 

क्यों है ये अंतर?

दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए केंद्र सरकार यहां की सुरक्षा और प्रशासन पर सीधा नियंत्रण चाहती है. इसी कारण दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया गया है.