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आशिके रसूल व अहले बैत (अ.स.) प्रिंसेस ज़रताज बेग़म का मक्का शरीफ़ में इन्तेकाल और जन्नतूल मुअलला में तदफीन
प्रिंसेस जरताज बेग़म बिन्ते गुलाम महबूब खान, उमराह करने की पाक नियत से मक्का शरीफ़ गई हुई थी। तारीख 27 नवंबर 2024 को मक्का शरीफ़ में खाना ए क्राबा के क़रीब मैं अचानक बिना किसी बीमारी व तक़लीफ़ के इन्तक़ाल कर गई, नमाजे जनाजा फजर की नमाज के बाद मस्जिदें हराम में अदा की गई गए और तदफीन क़ब्रिस्तान जन्नतूल मुअल्ला मैं हुई। अरब के रिवाज के मुताबिक़ ऐसी तदफीन के वक्त दो चार रिश्तेदार के अलावा किसी और शख्स को ऋब्रिस्तान में जाने की इजाजत नहीं होती है मगर प्रिन्सेस जरताज की तदफीन के वक़्त सैकड़ों लोग शामिल थे और वहाँ की हुकूमत के नुमाइंदों ने भी किसी को नहीं रोका जो की एक गैर मामूली और हैरतंगेज़ बात है। प्रिन्सेस जरताज बेग़म अल्लाह और उसके रसूल और अहले बैत से बेइंतहा अकीदत और मोहब्बत रखने वाली खातून थी और इसी के सबब अल्लाह ताला ने ही उनको ये मौक़ा फराहम किया कि मक्का शरीफ़ में मौत और जन्नतुल मुअल्ला में तदफीन जो की बहुत ही ज्यादा खुश नसीब लोगों को नसीब होता है । मरहुमा की इसाले सवाब के लिए उनके फरजन्द प्रिंस मोहम्मद याकूब हबीबुद्दीन तुसी साहब से मोहब्बत रखने वाले उनके रिश्तेदारों और दोस्तों के जरिए पूरी दुनिया में 700 से ज्यादा कुराने करीम की तिलावत का एहतमाम किया गया जिसमें मस्जिदें हराम और मक्का शरीफ़, मस्जिद नबवी मदीना शरीफ़, के अलावा तमाम अरब और अमरीका, इंग्लैंड, बग़दाद और भारत में अजमेर गरीब नवाज की दरगाह शरीफ़ और हैदराबाद में दरगाह पत्थर वाले बाबा साहब शामिल हैं। मरहूमा की गायबाना नमाज ए जनाजा मस्जिदें नबवी और मस्जिदें अक्सा फ़िलिस्तीन में अदा की गई। वफ़ात के दिन से चालीसवें दिन तक जनाब एम ए हतारवी साहब और मुफ्ती साउथ अफ्रीका दारूल उलूम ने रोजाना एक कुराने करीम की तिलावत फ़रमाई ॥ प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी साहब के मुताबिक़ फ़िलिस्तीन एम्बेसी, भारत सेवा संगठन और दारुल उलूम साउथ अफ्रीका ने भी अपने अपने ताज्जियत नामे लिखित रूप में उनके पास भेजे