Wednesday, January 22, 2025


भारत में पैर पसारता ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस-इन्फेक्शन और सांस से जुड़े वायरस का बुजुर्गों बच्चों पर निशाना-सरकार सतर्क 

5 वर्ष से कम व 65 वर्ष से अधिक उम्र वालों व सांस एवं अस्थमा रोगियों को सतर्कता की ज़रूरत 

वायरस फैलने की दर कोरोना से कम है परंतु फैलने का तरीका एक जैसा-सरकार पूरी तरह अलर्ट परंतु नागरिकों का सहयोग जरूरी-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर दुनियाँ का हर देश बड़ी मुश्किल से कोरोना महामारी से निज़ात पाकर स्टेबल होते जा रहे हैं, परंतु इसके विभिन्न वेरिएंट पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। एक और जहां 20 जनवरी 2025 को डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद ग्रहण करने व अपनी रणनीतियों से पूरे विश्व के प्रभावित होने के फंडे से पर पूरी दुनियाँ की दहशत भरी नज़रें लगी हुई है, तो वहीं दूसरी ओर एक नई कोरोनावायरस एचएमपीवी के बढ़ते संक्रमण से सभी देश संपूर्ण तैयारी में जुट गए हैं, जिसमें भारत भी है।चूँकि भारत में 11 जनवरी 2025 तक 11 से अधिक केस डिटेक्ट हो चुके हैं, सरकार ने राज्य सरकारों को गाइडलाइंस जारी कर दिए हैं, तो वहीं झारखंड ने भी अपने राज्य के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी है। चूँकि पूरी दुनियाँ कोविड महामारी के दंश को झेल चुकी है चुकी है इसलिए सभी देशों नें अपने-अपने स्वास्थ्य स्ट्रक्चर को बहुत अधिक मजबूत कर दिए हैं जिसमें भारत भी एक है, परंतु सबसे अधिक जवाबदेही हम नागरिकों की भी है किमरीज का पता चलने पर तुरंत उसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दें व बच्चों,बुजुर्गों को भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने से बचें, मास्क लगाए व सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन करें तो हम इस महामारी से जोरदार तरीके से मुकाबला कर इसें ज़मीं दरोज कर सकते हैं।चूँकि 5 वर्ष से कम व 65 वर्ष से अधिक आयु वाले व सांस एवं अस्थमा रोगियों को सतर्क रहने की जरूरत है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,भारत में पैर पसारता ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस-इन्फेक्शन और सांस से जुड़े वायरस का बुजुर्गों बच्चों पर निशाना- सरकार सतर्क परंतु सावधान रहने की ज़रूरत। 

साथियों बातें अगर हम ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस को संपूर्ण जानने की करें तो यह इंफेक्शन और सांस से जुड़ावायरस है। इसमें मरीजों को खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ और नाक बहने जैसी समस्याएं होती हैं।एचएमपीवी एक आरएनए वायरस है, जो आमतौर पर सर्दी जैसे लक्षण पैदा करता है। इसका जोखिम ठंड के मौसम में ज्यादा होता है। अमेरिका के सेंटर्स फॉर डीजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, ये वायरस न्यूमोविरिडे वायरस फैमिली से जुड़ा है, जिसमें रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस भी शामिल है। रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस से फेफड़ों और सांस नली में इंफेक्शन होता है। ये इतना आम है कि 2 साल तक की उम्र के ज्यादातर बच्चे इस वायरस से प्रभावित हो जाते हैं। कोरोना यानी कोविड-19 महामारी के लिए जो वायरस जिम्मेदार था, जो कोरोना विरिडे वायरस फैमिली से जुड़ा है। एचएमपीएस और कोरोना अलग-अलग वायरल फैमिली से आते हैं, लेकिन दोनों के लक्षण भी लगभग समान हैंएचएमपीवी से जुड़े आम लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं जो कोविड -19 में भी हो रहे थे।अमेरिकी सीडीएस के मुताबिक, कोविड-19 पर टेंप्रेचर का इफेक्ट होने की वजह से सीजनल था, लेकिनएमपीवी पर टेंप्रेचर का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, जिसके चलते अलग- अलग मौसम में फैल रहा है। अमेरिका में सर्दी से लेकर बसंत के मौसम में इसके केस पीक पर पर होते हैं। एचएमवीपी वायरस का ट्रांसमिशन रेट यानी फैलने की दर कोरोना वायरस की तुलना में कम है।लेकिन इसके फैलने का तरीका लगभग एक जैसा है। ड्रॉपलेट्स: जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है, तो हवा में कुछ बूंदें फैलती हैं। डायरेक्ट कॉन्टैक्ट: संक्रमित व्यक्ति के साथ डायरेक्ट कॉन्टैक्ट यानी सीधे या शारीरिक संपर्क से फैल सकता है।खासकर अगर कोई उनके चेहरे, आंख या मुंह को छूता है।चीजों की सतह: ये चीजों की सतहों पर बना रह सकता है।दरवाजे के हैंडल यामोबाइल जैसी दूषित चीजों को छूने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। हवा में मौजूदगी: वायरस के छोटे- छोटे पार्टिकल्स हवा में रह सकते हैं, खासकर भीड़भाड़ वाले या खराब हवा वाली जगहों में, इसका सबसे ज्यादा असर 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों को होगा, खासकर समय से पहले जन्मे बच्चे यानी प्री-मैच्योर चाइल्ड में। साथ ही जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है या जिन्हें अस्थमा जैसी सांस से जुड़ी बीमारी है। 

साथियों बात अगर हम इस वायरस से नहीं डरनेसावधानी रखने व जांच करने की करें तो, चीन में तेजी से फैले ह्यूमन मेटानिमोवायरस ने ये डर और बैठा दिया है कि कहीं ये कोरोना वायरस जैसी महामारी का रूप न ले ले, इसको लेकर भारत में भी पैनी नजर रखी जा रही है। ताजा घटनाक्रम में भारत सरकार ने कहा है कि भारत इस वायरस से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है और घबराने की जरूरत नहीं है, वहीं, तेलंगाना सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।हालांकि राज्य में अब तक 11 से अधिक मामले आए हैं, इसलिए हम सबको मिलकर इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। (1) खांसते या छीकते समय मुंह और नाक को रूमाल या टिश्यू से ढकें, (2) अपने हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोएं या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र का उपयोग करें। (3) भीड़भाड़ वाली जगहों से बचें और फ्लू से प्रभावित लोगों से दूरी बनाए रखें। (4) बुखार, खांसी या छींक आने पर सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें। (5) पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और पौष्टिक भोजन करें। (6) सभी स्थानों पर पर्याप्त वेंटिलेशन सुनिश्चित करें। (7) बीमार होने पर घर पर रहें और दूसरों के संपर्क को सीमित करें। साथियों इसके लक्षण दिखने पर एचएमपीवी वायरस की जांच कराई जा सकती है। इसी जांच भी कोरोना वायरस जैसी ही सरकारी अस्पतालों या प्राइवेट लैब में कराई जा सकती है। सैंपल प्रोसेस, नासॉफैरिंजियल स्वैब : नाक में कॉटन बड्स डालकर सैंपल लेना। थ्रोट स्वैब : गले में कॉटन बड्स डालना l ब्लड सैंपल: कुछ मामलों में ब्लड टेस्ट भी किया जा सकता है। बलगम: यदि मरीज को बलगम हो रहा हो, तो उसे भी जांच के लिए भेजा जा सकता है। साथियों बात अगर हम एचएमपीवी संक्रमण को कोविड -19 क़े परिपेक्ष में से समझने की करें तो, कोविड-19 महामारी से दुनियाँ भर में लंबा लॉकडाउन लगा रहा और लाखों लोगों की मौत भी हुई। लगभग 4 साल बाद इस महामारी से उबरने के बाद चैन की सांस ली ही थी कि अब एक और वायरस ने दुनियाँ भर में चिंताएं बढ़ा दी हैं। दरअसल, रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन घातक कोविड-19 महामारी के प्रकोप के चार साल बाद एक और महामारी से जूझ रहा है। इस महामारी का कारण एक वायरस है जिसका नाम है, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी ) इस वायरस के कारण कई देश इसके प्रसार पर निगरानी रख रहे। मेडिकल संस्थानों ने एचएमपीवी पर चिंता जताई है जो एक रेस्पिरेट्री (श्वसन) वायरस है जो कई एशियाई देशों को प्रभावित कर रहा है। रॉयटर्स में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक,हाल ही में पाए गए मामलों में राइनोवायरस और मानव मेटान्यूमोवायरस जैसे रोगाणु शामिल हैं।विशेष रूप से चीन के उत्तरी प्रांतों में 14 वर्ष से कम आयु के लोगों में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत में पैर पसारता ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस- इन्फेक्शन और सांस से जुड़े वायरस का बुजुर्गों बच्चों पर निशाना- सरकार सतर्क 5 वर्ष से कम व 65 वर्ष से अधिक उम्र वालों व सांस एवं अस्थमा रोगियों को सतर्कता की ज़रूरत।वायरस फैलने की दर कोरोना से कम है परंतु फैलने का तरीका एक जैसा- सरकार पूरी तरह अलर्ट परंतु नागरिकों का सहयोग जरूरी है। 

*-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*