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नई दिल्ली, 4 जनवरी 2025.
डॉ. उदित राज, राष्ट्रीय चेयरमैन, दलित, ओबीसी, माइनॉरिटीज और आदिवासी (डोमा) परिसंघ ने आज प्रेस वार्ता करके दिल्ली सरकार से कुछ अहम सवाल पूछे –
1. मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों के लिए वेतन मान की घोषणा कर दिया है लेकिन बौद्ध विहार, बाल्मीकि मंदिर, रविदास मंदिर, कबीर मठ और चर्च के भिक्षुओं और पुजारियों के लिए क्यों नहीं? धार्मिक स्थल तोड़ने पर विवाद में दिल्ली की सीएम, आतिशी जी ने बौद्ध विहार के टूटने का मुद्दा उछाला लेकिन भिक्षुओं के वेतन की घोषणा नहीं किया। ये डॉ अम्बेडकर का फोटो टांग कर दलितों का वोट लेने में आगे हैं लेकिन देना कुछ नही है। दिल्ली में करीब 314 बौद्ध विहार हैं । करीब 150 बाल्मीकि मंदिर हैं और रविदास मंदिर, कबीर मठ और चर्च के भी पुजारी हैं इनके लिए क्यों नहीं मानदेय की घोषणा हुई?
2. अंबेडकर सम्मान छात्रवृत्ति नई बोतल में पुरानी शराब जैसी घोषणा है। श्री अरविंद केजरीवाल ने 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले दलित छात्रों के लिए इसी तरह की उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति की घोषणा की थी, लेकिन केवल कुछ ही छात्र इसका लाभ उठा पाए। अब इसे एक नए नाम के साथ फिर से शुरू किया है। उन्हें यह बताना चाहिए कि 2020 की योजना के तहत अब तक केवल ₹25 लाख की छात्रवृत्ति क्यों वितरित की गई है, जबकि सरकार ने 2020-21 में इसके प्रचार पर लगभग ₹5 करोड़ खर्च किए हैं।
3. डॉ अंबेडकर का चित्र लगाकर वोट की ठगी कब तक चलेगी? डॉ. राजेंद्र पाल गौतम, तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री ने क्या गलती की थी जिनसे बड़े चतुराई से इस्तीफा ले लिया था। डॉ. राजेंद्र पाल गौतम की गलती यही थी डॉ अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं को ग्रहण कराया था और इस पर उनसे इस्तीफा ले लिया गया। डॉ अंबेडकर के विचार से इतनी घृणा क्यों?
4. क्या वजह है कि दलित समाज के 3 मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा या उन्हें भाग जाने के लिए मजबूर किया और ऐसा अन्य समाज के मंत्री के साथ तो नहीं हुआ। संदीप कुमार, राजेंद्र पाल गौतम और राज कुमार आनंद, ये तीनों समाज कल्याण मंत्री रहे हैं। क्या इन्ही में गलती दिखती है? दलित को मंत्री बनाना मजबूरी थी और रहेगी लेकिन कोटा पूरा करने के लिए क्या समाज कल्याण मंत्रालय ही है ? क्यों नहीं अन्य मंत्रालय दिए गए। सामान्य वर्ग के मंत्रियों के पास दर्जनों विभाग हैं, क्यों नहीं दलितों को?
डॉ. उदित राज जी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की दलित और आरक्षण विरोधी सोच कोई नई नहीं है। 2 अगस्त, 2008 को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के ताप्ती छात्रावास में यूथ फॉर इक्विलिटी फोरम के मंच से आरक्षण के विरोध में बोला था। इन्होंने यूथ फॉर इक्विलिटी का नेतृत्व करके आरक्षण की खिलाफत किया था। ये डॉ. अंबेडकर के नाम पर दलितों का वोट लेते हैं लेकिन डॉ. अंबेडकर के विचारों और दलितों से घृणा करते हैं।
प्रेस वार्ता में भन्ते विनयशील महथेरो – अध्यक्ष, दिल्ली प्रदेश भिक्षु महासंघ, श्री रंजीत सिंह – महासचिव, भारतीय बौद्ध
महासभा, डोमा परिसंघ के राष्ट्रीय महासचिव, एड. शाहिद अली, राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर – एड. सतीश सांसी एवं किरणजीत सिंह गेरी – चेयरमैन, नेशनल दलित महापंचयत भी मौजूद रहे।