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ब्रेल दिवस के उपलक्ष्य पर कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेडी ने युवा वर्ग को मानव उत्थान के लिए शोध करने पर बल दिया
दिल्ली,प्रो अजय कुमार मिश्रा, संयोजक मीडिया प्रकोष्ठ, आईकेएस प्रकोष्ठ व पीआरओ सीएसयू ।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेडी ने कहा है कि प्रख्यात मानवतावादी व्यक्तित्व लुई ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1909 में फ्रांस में हुआ था जिन्होंने अपने 11 वर्षों की अल्प आयु से ही एक ऐसी लिपि के आविष्कार करने में संलग्न थे, जो नेत्रहीन और आंशिक रूप से दृष्टिबाधित लोगों की अभिव्यक्ति तथा उनके संसार लोक के संचार का माध्यम बन सके । अतः लुई ब्रेल ने अपने 09 वर्षों के भागीरथ प्रयास से इसके लिए एक लिपि का आविष्कार किया जो आज ब्रेल लिपि के नाम से समग्र संसार में जाना जाता है और इस समाज के लिए यह लिपि एक क्रान्तिकारी आविष्कार के रूप में समाद्रृत है। इनके इसी महान आविष्कार के कारण आज के दिन उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य पर यह ब्रेल लिपि विश्व भर में एक दिवस मनाया जाता है ।
साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा है कि ऐसे मनुष्यों के चित्त और मस्तिष्क में एक अद्भुत ऊर्जा भी संचयित रहती है ।यही कारण है कि इस समाज के कुछ लोग साक्षात कालिदास या पाणिनि की तरह प्रकाण्ड विद्वान ,दिव्य महात्मा, कवि ,लेखक तथा सन्त आदि के रूप में अवतरित हो कर मानवता के लिए अमूल्य सेवा भी प्रदान करते हैं ।ब्रेल दिवस के उपलक्ष्य पर कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेडी ने युवा वर्ग को मानव उत्थान के लिए शोध करने पर बल दिया है ।
प्रो वरखेडी ने यह भी कहा है कि ब्रेल लुई के शोध के प्रति समर्पित भावना से युवा वर्ग को भी सीख लेनी चाहिए ,ताकि उनका भी अनुसन्धान विश्व मानव के कल्याण के लिए काम आ सके । इस दृष्टि से संस्कृत साहित्य में भी अनुसन्धान की प्रबल संभावनाएं दिखती हैं ।