Wednesday, January 22, 2025


भारत का एक पड़ोसी मुल्क, जहां बड़ी तादाद में मुस्लिम तो रहते हैं लेकिन मस्जिद एक भी नहीं! भारतीय सीमा पर स्थित जयगांव में 2008 में मस्जिद बनाई गई, जहां मौके पर एक देश के वासी नमाज़ पढ़ने आते हैं! विश्व में भारत एक धर्म व पंथ निरपेक्ष देश के रूप में अनोखी मिसाल है,जो सर्वधर्म समभाव की भावना से परिचालित है - एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र गोंदिया - वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ में भारत की एक धर्म व पंथ निरपेक्ष देश के रूप में प्रतिष्ठा है, जहां सर्वधर्म समभाव परिचालित होता है, जो पूरी दुनियाँ में जहां एक धर्म, मजहब, ग्रुप के रूप में संगठित होकर बात हुआ है जैसे 57 देश का इस्लामिक सहयोग संगठन, 25 से अधिक देशों का संभावित इस्लामिक नाटो संगठन पश्चिमी देशों का नाटो, 55 देशों का अफ्रीकी संघ इत्यादि समूह हैं। कुछ कट्टर इस्लामिक देशों को छोड़ दें तो करीब करीब हर देश में अनेक धर्म के लोग रहते हैं,वहां उन्होंने उनकी आस्था के अनुसार मंदिर मस्जिद चर्च बनाने की अनुमति है, परंतु हैरानी वाली बात है कि भारत के बिल्कुल पड़ोसी देश सहित कुल आठ ऐसे देश हैं जहां अच्छी खासी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद वहां एक भी मस्जिद नहीं है, यानें बनाने की अनुमति नहींहै जिसके कारण वे अपने- अपने घरों व अन्य स्थानों पर नमाज अदा करते हैं, वे देश हैं, भूटान वेटिकन सिटी, उरुग्वे,मोरको, सानवेरिनो एस्टोनिया स्लोवाकिया, साओ टांक एंड प्रिपी में मस्जिद बनाने पर बैन है। चूँकि इसमें भारत के बिल्कुल पढ़ोसी मुल्क भूटान भी शामिल है, जिसको भारतीय सीमा में स्थित जयगांव में 2008 में मस्जिद बनाने की अनुमति दी गई है जहां मौके पर नमाज़ पढ़ने आते हैं। बता दें,भूटान की कुल आबादी 7.5 लाख के आसपास है। 84.3 फीसदी आबादी बौद्ध धर्म मानने वालों की है। वहां बौद्ध मंदिर और मठ काफी हैं। दूसरे नंबर पर वहां हिंदू आबादी है जो 11.3 फीसदी हैं। उनके मंदिर और धर्म स्थल हैं। कुछ साल पहले खुद भूटान के राजा ने थिंफू में काफी शानदार हिंदू मंदिर का निर्माण किया है। भूटान में मुस्लिम आबादी करीब 01 फीसदी है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत का पड़ोसी मुल्क जहां बड़ी तादाद में मुस्लिम तो रहते हैं लेकिन मस्जिद एक भी नहीं है, तथा विश्व में भारत एक धर्म व पंथ निरपेक्ष देश के रूप में अनोखी मिसाल है, जो सर्वधर्म समभाव की भावना से परिचालित है। स्पष्ट बता दें,गुगल के विभिन्न स्रोतों व सुत्रों से प्राप्त जानकारी जुटाने पर यह पाया गया है,जो केवल प्राप्त जानकारी आधारित सुचना मात्र है। सटीकता का प्रमाण नहीं है, सही और ग़लत होने की पुष्टि वहां के नागरिक उचित टिप्पणी द्वारा कर सकते हैं। 

साथियों बात अगर हम भारत के पड़ोसी मुल्क भूटान में एक भी मस्जिद नहीं होने की करें तो, दुनियाँ के लगभग हर देश में नागरिकों को अपनी इच्‍छानुसार धर्म मानने और धार्मिक स्‍थल बनाने की इजाजत है,यही वजह है कि जिस देश में जिस धर्म-संप्रदाय के लोग रहते हैं, वहां उनका प्रार्थना स्‍थल भी होता है, लेकिन भूटान एक ऐसा अनूठा देश है, जहां इस्‍लाम धर्मावलंबी तो रहते हैं लेकिन एक भी मस्जिद नहीं है।भारत में मुसलमान दूसरी सबसे बड़ी आबादी हैं, वहीं भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में इस्लाम धर्म को मानने वालों की आबादी सबसे ज्यादा है, लेकिन भारत का ही एक पड़ोसी देश ऐसा भी है, जहां मुसलमान तो हैं,लेकिन वहां एक भी मस्जिद नहीं है।उस देश में हिंदू भी रहते हैं और हिंदुओं के लिए मंदिर भी हैं। लेकिन इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए वहां एक भी मस्जिद नहीं है।दरअसल, भूटान में मुस्लिमों को अपनी इबादत गाह या मस्जिद बनाने की अनुमति नहीं है. मस्जिद ना होने के कारण भूटानी मुस्लिम अपने घर पर ही नमाज अदा करते हैं।भारत के इस पड़ोसी देश के मुसलमानों ने साल 2008 में भारत सीमा पर स्थित जयगांव में एक मस्जिद बनवाई थी,खास मौकों पर ये मुस्लिम इसी मस्जिद में जाकर नमाज शिदत्त से पढ़ने जाते हैं।

साथियों बात अगर हम धर्म व पंथ निरपेक्ष भारत में हर सिटी में मस्जिद होने की करें तो,भारत में ऐसा कोई स्थान खोज पाना मुश्किल है जहाँ एक भी मस्जिद न हो। भारत एक विशाल और विविधतापूर्ण देश है जिसमें विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का समावेश है। हालांकि, कुछ छोटे और दूरदराज के गाँव या क्षेत्र हो सकते हैं जहाँ मुस्लिम जनसंख्या न होने के कारण मस्जिद न हो। लेकिन ऐसा कोई व्यापक और प्रसिद्ध स्थान नहीं है जो इस श्रेणी में आता हो। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, और किसी भी समुदाय को उनके धार्मिक स्थल बनाने से रोका नहीं जा सकता। धार्मिक संरचनाओं की उपस्थिति आमतौर पर उस क्षेत्र की जनसंख्या संरचना पर निर्भर करती है।यदि कोई स्थान विशेष रूप से उल्लेखनीय है जहाँ मस्जिद नहीं है, तो यह संभवतः उस क्षेत्र की जनसांख्यिकीय संरचना, सांस्कृतिक परंपराओं, या इतिहास के कारण हो सकता है। फिर भी, यह कोई सामान्य या व्यापक तथ्य नहीं है। 

साथियों बात अगर हम भूटान में मंदिर होने और चर्च नहीं होने की करें तो, एक तरफ जहां, भूटान में मस्जिद और चर्च नहीं है, वहीं वहां हिंदू मंदिर कई हैं,इनमें से सबसे विशाल हिंदू मंदिर भूटान की राजधानी थिंफू में बना है। इस मंदिर में हिंदू देवी देवताओं की कई मूर्तियां हैं।यहां देश भर के हिंदू आते हैं और पूजा पाठ करते हैं। भूटान 7 वीं सदी तक भारत के कूचबिहार राजवंश का हिस्सा था इसके बाद यह आजाद होकर बौद्ध धर्म में तब्दील हुआ है। कई बार जब यूरोप या फिर अन्य किसी देश से कोई मुस्लिम या ईसाई धर्म का व्यक्ति भूटान घूमने आता है तो उसे इबादत के लिए यहां कोई मस्जिद या चर्च नहीं मिलता हालांकि, अगर आधिकारिक तौर पर देखें तो बमथांग में एक छोटा सा प्रार्थना कक्ष जरूर बनाया गया है,जिसमें तीन कमरे बने हैं, इन तीन अलग अलग कमरों में मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई धर्म को मानने वाले लोग आकर प्रार्थना कर सकते हैं। 

साथियों बात कर हम भारत में धर्म व पंथ निरपेक्षता की करें तो, धर्मनिरपेक्ष शब्द, भारतीय संविधान की प्रस्तावना में बयालीसवें संशोधन (1976) द्वारा डाला गया था। भारत का इसलिए एक आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है। हर व्यक्ति को उपदेश, अभ्यास और किसी भी धर्म के चुनाव प्रचार करने का अधिकार है। सरकार के पक्ष में या किसी भी धर्म के खिलाफ भेदभाव नहीं करना चाहिए। यह बराबर सम्मान के साथ सभी धर्मों का सम्मान करना होगा। सभी नागरिकों, चाहे उनकी धार्मिक मान्यताओं के लिए कानून के सामने बराबर हैं। कोई धार्मिक अनुदेश सरकार या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में दिया जाता है। फिर भी, सभी स्थापित दुनिया के धर्मों के बारे में सामान्य जानकारी समाजशास्त्र में पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में दिया जाता है, किसी भी एक धर्म या दूसरों को कोई महत्व देने के बिना। मौलिक मान्यताओं, सामाजिक मूल्यों और मुख्य प्रथाओं और प्रत्येक स्थापित दुनिया धर्मों के त्योहारों के संबंध के साथ सामग्री / बुनियादी मौलिक जानकारी प्रस्तुत करता है। एसआर बोम्मई बनाम भारतीय संघ में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मूल ढांचे का एक अभिन्न हिस्सा है कि धर्मनिरपेक्षता था। 

साथियों बात अगर हम भारतीय और पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता को समझने की करें तो, कभी-कभी यह कहा जाता है कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता की नकल भर है। लेकिन संविधान को ध्यान से पढ़ने से पता चलता है कि ऐसा नहीं है। भारतीय धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से बुनियादी रूप से भिन्न है। जिसका जिक्र निम्न बिंदुओं के अंतर्गत किया जा सकता है-पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता जहाँ धर्म एवं राज्य के बीच पूर्णत: संबंध विच्छेद पर आधारित है, वहीं भारतीय संदर्भ में यह अंतर-धार्मिक समानता पर आधारित है। पश्चिम में धर्म निरपेक्षता का पूर्णत: नकारात्मक एवं अलगाववादी स्वरूप दृष्टिगोचर होता है, वहीं भारत में यह समग्र रूप से सभी धर्मों का सम्मान करने की संवैधानिक मान्यता पर आधारित है।गौरतलब है कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता ने अंतःधार्मिक और अंतर- धार्मिक वर्चस्व पर एक साथ ध्यान केंद्रित किया है। इसने हिंदुओं के अंदर दलितों और महिलाओं के उत्पीड़न और भारतीय मुसलमानों अथवा ईसाइयों के अंदर महिलाओं के प्रति भेदभाव तथा बहुसंख्यक समुदाय द्वारा अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों के अधिकारों पर उत्पन्न किये जा सकने वाले खतरों का विरोध किया है, जो इसे पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता की अवधारणासे भिन्न बनाती है।यदि पश्चिम में कोई धार्मिक संस्था किसी समुदाय या महिला के लिये कोई निर्देश देती है तो सरकार और न्यायालय उस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। जबकि भारत में मंदिरों, मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश जैसे मुद्दों पर राज्य और न्यायालय दखल दे सकते हैं।जिसमें किभारतीय धर्मनिरपेक्षता में राज्य समर्थित धार्मिक सुधार की गुंजाइश भी होती है और अनुकूलता भी, जो पश्चिम में देखने को नहीं मिलती है। उदाहरण के लिये भारतीय संविधान ने अस्पृश्यता पर प्रतिबंध लगाया है, वहीं सरकार ने बाल विवाह के उन्मूलन हेतु अनेक कानून भी बनाए हैं।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत का एक पड़ोसी मुल्क, जहां बड़ी तादाद में मुस्लिम तो रहते हैं लेकिन मस्जिद एक भी नहीं!भारतीय सीमा पर स्थित जयगांव में 2008 में मस्जिद बनाई गई, जहां मौके पर एक देश के वासी नमाज़ पढ़ने आते हैं!विश्व में भारत एक धर्म व पंथ निरपेक्ष देश के रूप में अनोखी मिसाल है, जो सर्वधर्म समभाव की भावना से परिचालित है।

*-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*