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प्रभावी अभिव्यक्ति के लिए भाषा की मानसिक चिन्तन प्रक्रिया भी उसी भाषा में होनी चाहिए - कुलपति प्रो वरखेडी
दिल्ली ,प्रो अजय कुमार मिश्रा, संयोजक मीडिया प्रकोष्ठ आईकेएस व पीआरओ,सीएसयू ।
कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेडी ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संस्कृत अध्ययन केन्द्र के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित संस्कृत अध्ययन केन्द्र कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में कहा कि प्रभावी अभिव्यक्ति के लिए भाषा की मानसिक चिन्तन प्रक्रिया भी उसी भाषा में होनी चाहिए । इस दृष्टि से संस्कृत भाषा का महत्त्व तो और अधिक प्रतीत होता है ।
अपने वक्तव्य में उन्होंने भाषा महात्म्य, उसके मनोविज्ञान तथा भाषा वैज्ञानिक महत्त्वों पर प्रकाश डालते हुए यह भी कहा कि किसी भी अभिव्यक्ति में सटीकता तथा व्यापकता तभी तात्त्विक हो पाती है ,जब हम जिस भाषा में बोलना चाहते हैं ,उस भाषा की मानस चेतना की चिन्तन प्रक्रिया भी उसी भाषा के भाव से सर्वथा सिक्त हो ।
ध्यातव्य है कि इस बैठक में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलानुदेशक प्रो व्रजेश कुमार पाण्डेय , संस्कृत संकाय के वर्तमान तथा पूर्व अध्यक्ष क्रमश: प्रो रजनीश कुमार मिश्रा तथा प्रो उपेन्द्र राव , जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय( दोनों ) के साथ साथ अनेक विद्वान तथा विदुषी भी उपस्थित रहें ।
युवा विद्वान डा टि. महेन्द्र , सहायक आचार्य, संस्कृत विभाग ,जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम का संचालन किया ।